सफलता और समृद्धि दे पालन का उद्योग
कहते हैं कि घर में मछली पालने से सुख और समृद्धि आती है, तो जरा सोचिए कि मछली से जुड़ा व्यवसाय आपको कितनी सफलता देगा! मछली पालन रोजगार का एक ऐसा ही माध्यम है, जो कम लागत के साथ बेहतरीन मुनाफा कमाने का जरिया बनता है.
मछली पालने का काम पहले सिर्फ मछुआरे करते थे और यह मुख्य रूप से उनकी आमदनी का जरिया हुआ करता था, लेकिन टेक्नोलॉजी के दौर ने इस काम को अन्य लोगों के लिए भी रोजगार का एक बेहतरीन विकल्प बना दिया है. आज यह काम एक सफल लघु उद्योग के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. मछली पालन का व्यवसाय रोजगार के अवसर तो पैदा करता ही है, साथ ही खाद्य पूर्ति और विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यदि आप एक सफल उद्योग को अपनाना चाहते हैं, तो मछली पालन आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है.शैक्षिक योग्यता
इस उद्योग को रोजगार के रूप में अपनाने के लिए बेहतर होगा कि पहले आप मछली पालन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी हासिल कर लें. इसके लिए आप मछली पालन का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं. सर्टिफिकेट कोर्स के लिए निश्चित शैक्षिक योग्यता और आयु सीमा निर्धारित नहीं है, लेकिन अभ्यर्थी को विज्ञान विषय से स्नातक होना चाहिए. इसका डिप्लोमा केवल एक वर्ष का होता है.
सबसे पहले तैयार करें तालाब
मछली पालन की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले तालाब का निर्माण करना होता है. मछलियों को पालने के लिए जलीय पौधों से रहित दोमट मिट्टीवाले तालाब का चयन करना सबसे उपयुक्त होता है. तालाब ऐसा होना चाहिए, जिसमें कम-से-कम पांच से छह फुट तक पानी भरा रहे. यदि तालाब में जलीय खर-पतवार या पौधे हों, तो उन्हें उखाड़ देना चाहिए. ये जलीय पौधे तालाब की मिट्टी और पानी में उपलब्ध भोजन तथा पोषक तत्वों को कम कर देते हैं. यदि आप पहले से ही बने तालाब में मछलियों का पालन करना चाहते हैं, तो उस तालाब में नयी मछलियां डालने से पहले उसकी सफाई अवश्य करा लें. पानी में बारीक जाल डाल कर मांसाहारी मछलियों को निकाल दें. ये मछलियां पाली जानेवाली मछलियों को खा जाती हैं. तालाब को मछलियों के लिए उपयुक्त बनाने के साथ ही उसके पानी में खर-पतवार नाशक दवा 2-4 डी का इस्तेमाल करें या फिर चूने का छिड़काव कराएं. एक बात पर विशेष ध्यान रखें कि पानी का स्नेत तालाब के समीप ही हो, ताकि जरूरत पड़ने पर उसे भरा जा सके. यह भी ध्यान रखें कि मछली पालनेवाले तलाब में मेंढक और कंकड़ वगैरह न हों.
कैसी मछलियों को पालें
मछली पालन के लिए उन मछलियों का चयन करना चाहिए, जो छोटे-छोटे जलीय जीवाणु खाकर जीवित रहती हैं और कम समय में ही तेजी से बढ़ती हैं. मछलियों की ऐसी लगभग 30 प्रजातियां हैं, जो आर्थिक दृष्टि से इस उद्योग के लिए काफी उपयोगी हैं. शाकाहारी मछलियों में कतला, रोहू, मिरगल, कामन कार्प, सिल्वर कार्प, कालवासु, कतरोहू, बाटा और महाशीर को पालना बेहतर होता है, जबकि मांसाहारी मछलियों में पडिन, चीतल और संबला का अत्यधिक पालन किया जाता है.
यदि आप एक ही तालाब में विभिन्न प्रकार की मछलियां पालना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप तालाब में विभिन्न सतहों पर रहनेवाली मछलियों का चयन करें. साथ ही यह ध्यान रखें कि वे सभी मछलियां शाकाहारी हों, ताकि वे दूसरी मछलियों का शिकार न करें. ऊपरी सतह पर रहनेवाली मछली कतला और सिल्वर कार्प हैं, जो एक साल में दो किलो तक वजनी हो जाती हैं. ये दोनों ही विदेशी नस्ल की मछलियां हैं. ग्रास कार्प और रोहू पानी के बीच की सतह के लिए पाली जा सकती हैं, जो एक साल में 800 ग्राम तक हो जाती हैं. ये जलीय वनस्पति खाने की शौकीन होती हैं. रोहू का वजन साल भर में दो किलो तक हो जाता है. वहीं मिरगल और कामन कार्प वे मछलियां हैं, जो पानी की निचली सतह पर रह कर अपना भोजन स्वयं प्राप्त करती हैं. तीनों मछलियों के बीज जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में तालाब में छोड़ दिये जायें, तो तालाब से प्रति हेक्टेयर लगभग तीन मीट्रिक टन या 3,000 किलोग्राम तक मछलियां पैदा की जा सकती हैं. फरवरी से जून तक मछलियां निकाल कर बेचने लायक हो जाती हैं. जुलाई से अक्तूबर तक बीज का उत्पादन करके उन्हें पालने योग्य बनाया जा सकता है